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श्री 1108 योगेश्वर महाप्रभु रामलाल जी महाराज

(सन् 1888 — 1938)

महाशक्ति के अवतार योगेश्वर रामलाल महाप्रभु जी ने चिरगुप्त योग-विद्या के पुनरुद्घार व इस कलिकाल में योग जैसे महान, गोपनीय साधन प्रदान करने के लिए पंजाब के अमृतसर नगर में रामनवमी के पावन दिवस पर अवतार लिया।
महाप्रभु जी त्रिकालदर्शी ज्योतिष, वैद्य व योग विद्या के सम्पूर्ण ज्ञाता थे। उन्होंने मर्यादावश हिमालय में वर्षों समाधि कर अष्टांग योग को सिद्ध किया और योग के साधनों को जनसाधारण व गृहस्थियों के लिए सरल बनाया।
श्री महाप्रभु जी ने योग का दिव्य प्रकाश फैलाने हेतु अमृतसर, लाहौर, ऋषिकेश व हरिद्वार इत्यादि स्थानों पर अनेकों योग साधन आश्रमों की स्थापना की तथा शक्तिपात दीक्षा, जीवन तत्व (काया कल्प) के सरल साधनों द्वारा अनेकानेक साध्य असाध्य रोगों का निवारण किया।

सन् 1936 में उन्होंने योगेश्वर श्री मुलखराज जी महाराज को वर्षों की समाधि से उत्थान कर अष्टांग योग का स्वामी बनाया और योग संचार की आज्ञा देकर निज आसान आसीन किया।
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श्री 1108 योगेश्वर मुलखराज जी महाराज

(सन् 1898 — 1960)

योग योगेश्वर श्री मुलखराज जी महाराज का जन्म सन् 1898 में पंजाब के ज़िला गुरदासपुर में माघ संक्रांति के पावन दिवस पर हुआ। सन् 1921 में उन्हें पूर्व जन्म के पिता, सद्ग़ुरु व इष्ट श्री रामलाल महाप्रभु जी के पावन दर्शन हुए।

महाप्रभु जी ने उन्हें कृपा का पात्र जानकार आशीर्वाद दिया व 12 वर्षों तक समाधि की परम अवस्था तुर्या अतितुर्या में रखा। आप इस अवस्था में बंद आँखें 24 घंटे मस्त रहते हुए भी सांसारिक कार्य और गुरु सेवा में संलग्न रहे

महाप्रभु जी के मानव शरीर लीला रमण करने के बाद श्री मुलखराज जी महाराज ने योग का प्रचार विभिन्न प्रदेशों में फै लाया व कई योग आश्रमों की स्थापना की।

सहस्त्र नर नारी भक्त समाज आपकी शरण में आकर शारीरिक-मानसिक रोगों से मुक्त होकर आपसे दीक्षित होकर ध्यान-समाधि व जीवन-मुक्त अवस्था को प्राप्त हुए।

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श्री 1108 योगेश्वर स्वामी देवीदयाल जी महाराज

(सन् 1920 — 1998)

परम पूज्य सदगुरूदेव स्वामी देवी दयाल जी महाराज का जन्म सन् 1920 में लाहौर प्रांत के ज़िला खानेवाल में हुआ।

स्वामी जी को सन् 1941 से योगेश्वर मुलखराज जी महाराज का सान्निध्य प्राप्त हुआ। आपकी सेवा, श्रद्धा व भक्ति भाव से प्रसन्न होकर योगेश्वर मुलखराज जी महाराज ने आपको अपनी सम्पूर्ण योग विद्या व महाशक्तियों का अधिकारी बनाते हुए आपको भारतवर्ष में योग के प्रचार प्रसार की आज्ञा दी।

स्वामी देवी दयाल जी ने भारतवर्ष में सैकड़ों योग शिविर लगाए व 60 से अधिक योग आश्रमों की स्थापना की। इन योग आश्रमों में लाखों रोगियों को शारीरिक-मानसिक रोगों से मुक्ति प्राप्त हो रही है व आत्मिक प्रगति का मार्गदर्शन हो रहा है।

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